लालासर साथरी राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह स्थान बिश्नोई पंथ के संस्थापक गुरु जम्भेश्वर का निर्वाण स्थल है। यहाँ गुरु जी ने मिगसर वदि नवमी सम्वत् 1593 (1536 ई.) को अपना भौतिक शरीर त्याग दिया था।
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Lalasar Sathri Temple |
लालासर की साथरी मंदिर की स्थिति :
- गाँव : लालसर
- तहसील : नोखा
- जिला : बीकानेर
- यह बीकानेर से लगभग 30 कि.मी. दक्षिण - पूर्व में है तथा लालासर गांव से 6 कि.मी. तथा मुकाम से 28 कि.मी. दूर में स्थित है ।
लालासर की साथरी मन्दिर :
![लालासर साथरी मन्दिर लालासर साथरी मन्दिर](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgoc3TwqGO5ewXqRCMAVfSqN6GkbN9jFcDsq-b-ZUDEP7XStEgdSTUu8cZaZWr_bv-rKxmGtSk9jktBL6kp7Knz5-q3H28lNCCbHlanoox95SkrVzhnfgOxHlhBXOdxg8vV4U0Stv3ybH-j/w640-h360-rw/lalasar-sathri-nokha.jpg) |
लालासर साथरी मन्दिर |
अब यहां भव्य मन्दिर बनाया गया है। यहाँ पर बिश्नोई पंथ के संस्थापक गुरु जाम्भोजी ने मिगसर वदि नवमी सम्वत् 1593 को यहां अपना भौतिक शरीर त्याग दिया था।
बिश्नोई पंथ में इस दिन को ' चिलत नवमी ' भी कहते हैं ।
केशोजी ने साखी में लिखा हैं-
"तिथि नवमी निरखी निरमली,मिगसर वदि वमेख। लालासर की साथरी, ओल्हे हुआ अलेख ।।"
![लालासर साथरी - हरी कंकेड़ी लालासर साथरी - हरी कंकेड़ी](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhQwYTREWWN85CA32CqrvQygqc8XzU85niygU3IeWas4FOBeJjzk_Q7IlcNl-1rRcPhj6tlrmBteBwm07iY6xnjH87wkG-4dqG7ube-HYsN59ABXz9ymJNpn-fOlQDNPuaezX-QpV5XKW30/w640-h426-rw/kankedi-lalassar-sathri.jpg) |
हरी कंकेड़ी |
कहते हैं कि लालासर की साथरी पर स्थित हरी कंकेड़ी के नीचे गुरु जाम्भोजी ने अपना शरीर त्यागा था । आज इस कंकेड़ी के चारों ओर पक्का चबूतरा बना हुआ है ।
मुकाम में लगने वाले दोनों मेलों के समय श्रद्धालु यहां साथरी के दर्शन करने के लिये भी आते हैं । यहां चिलत नवमी को मेला भी लगता है।
यह मंदिर बिश्नोई समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह धाम बिश्नोई समाज के अष्ट धामों में से एक धाम है।