मुकाम: मुक्तिधाम मुकाम मंदिर एवं मुकाम मेला 2024

मुकाम मंदिर का परिचय:

श्री गुरु जम्भेश्वर (जांभोजी) को विक्रम सम्वत् 1593 (1536 ई.) मिगसर बदी 9 को बैकुण्ठवास के बाद तालवा गांव के निकट मुकाम में एकादशी के दिन समाधि दी गईं। उनके पवित्र शरीर का अन्तिम पड़ाव होने से यह तीर्थ मुकाम के नाम से विख्यात है तथा समाज में यह आम धारणा है कि यहां निष्काम भाव से सेवा करने वालों को मुक्ति मिलती है। इसीलिए इसका नाम मुक्तिधाम मुकाम (Mukti Dham Mukam) है।

गुरु महाराज ने निर्वाण से पूर्व खेजड़ी तथा जाल के वृक्ष को अपनी समाधि का चिन्ह बताया। उनके अनुसार ठीक उसी स्थान पर जहां आज समाधि है। उनको समाधि देने के लिए खोदने के दौरान 24 हाथ नीचे एक त्रिशूल मिला जो कि आज भी निज मन्दिर मुक्तिधाम मुकाम पर लगा हुआ है।

विक्रम संवत् 1593 (1536 ईस्वी) में पौष सुदी द्वितीया सोमवार को मुकाम मंदिर की नींव रखी गई। रणधीर जी बाबल, जो जांभोजी महाराज के प्रिय शिष्य थे, ने चार साल बाद चैत्र सुदी सप्तमी शुक्रवार (1540 ईस्वी) को मंदिर का निर्माण पूरा करवाया (तैयार हो गया)

मुकाम मंदिर
मुक्तिधाम मुकाम मंदिर

निज मन्दिर :

वर्तमान में समाधि पर बने मन्दिर का जीर्णोद्धार कर एक भव्य मन्दिर का निर्माण किया गया है। इस मन्दिर को निज मन्दिर कहते हैं।

मुक्तिधाम मुकाम मंदिर की स्थिति :

  • गाँव का पुराना नाम : तालवा गांव
  • गाँव का वर्तमान नाम : मुकाम (गुरु जम्भेश्वर भगवान के पवित्र शरीर का अन्तिम पड़ाव होने से यह तीर्थ मुकाम के नाम से विख्यात है)
  • तहसील: नोखा जिला : बीकानेर
  • स्थिति : मुकाम, बीकानेर जिल की नोखा तहसील के मुकाम गांव में स्थित है। जो नोखा से लगभग 16 कि.मी. दूर हैं। तथा जिला मुख्यालय बीकानेर से 63 किलोमीटर दूर है।

मुक्तिधाम मुकाम मेला :

मुकाम मंदिर में हर साल दो मुख्य मेले आयोजित किए जाते हैं-
  1. फाल्गुन की अमावस्या पर
  2. आसोज की अमावस्या पर
जहाँ बिश्नोई समाज के लाखों श्रदालु यहाँ धोक लगते है। फाल्गुन की अमावस्या का मेला तो प्रारम्भ से ही चला आ रहा है, परन्तु आसोज की अमावस्या पर मेला संत वील्होजी ने सम्वत् 1648 (1591 ई.) में प्रारम्भ किया था। 
मुकाम मेला
मुकाम मेला

मेलो की समस्त व्यवस्था अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा एवं अखिल भारतीय गुरू जम्भेश्वर सेवक दल द्धारा की जााती है।

FAQ: 

जांभोजी का मेला कब भरा जाता है?
फाल्गुन एवं आसोज की अमावस्या पर।

मुकाम का मेला कब लगता है?
हर वर्ष फाल्गुन की अमावस्या पर एवं आसोज की अमावस्या पर दो मेले लगते हैं।

10 मार्च 2024 को फाल्गुन मेला लगेगा। फाल्गुन अमावस्या मार्च 9, 2024 को 18ः19ः59 बजे आरम्भ होगी एवं मार्च 10, 2024 को 14ः32ः12 पर अमावस्या समाप्त होगी।

2024 का आसोज मुकाम मेला कब है? 
02 अक्टूबर, 2024 को आसोज मेला लगेगा।
आसोज अमावस्या अक्टूबर 01, 2024,  को 09:39 बजे आरम्भ होगी एवं अक्टूबर 03, 2024 को 12:18 पर अमावस्या समाप्त होगी।

मुकाम मंदिर मुकाम कहां है?
गावं मुकाम, तहसिल नोखा, जिला बीकानेर (राजस्थान) में स्थित है।

मुकाम स्थित निज मंदिर का निर्माण किसने शुरू करवाया था?
रणधीर जी बाबल।

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