श्री गुरु जम्भेश्वर शब्दवाणी : शब्द 119

ओ३म् विष्णु-विष्णु तू भण रे प्राणी । पैंकै लाख उपाजूं ।।

रतन काया बैकुंठे बासो । तेरा जरामरण भय भाजूं ।।११९।। 

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