रोटू धाम : श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान मंदिर

रोटू धाम: बिश्नोई समाज का एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल

रोटू धाम, राजस्थान के नागौर जिले में स्थित, बिश्नोई समाज के अष्ट धामों में से एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। यह स्थान अपनी धार्मिक, सामाजिक और पर्यावरणीय महत्व के लिए जाना जाता है।

रोटू में  गुरु जम्भेश्वर ने वि.सं. 1572 (1515 ई.) में अक्षय तृतीया के दिन, गुरु जी ने यहाँ जोखे भादू की बेटी उमा (नौरंगी) का भात भरा था।

कहा जाता हैं कि गुरू जंभेश्वर भक्तिनी उमा बाई का मायरा भरने के लिए रोटू गांव पहुँचे तब उमा बाई के घर के सामने जमीन पर पड़े पत्थर पर चरण रखे तो वह पत्थर पिघल गया। पत्थर पर भगवान के चरण का चिन्ह उत्कीर्ण हो गया। गुरु जम्भेश्वर जी के पद चिन्ह पत्थर पर आज भी यहाँ मौजूद हैं।

 

श्री गुरु जम्भेश्वर मंदिर रोटू
श्री गुरु जम्भेश्वर मंदिर रोटू

रोटू मंदिर की स्थिति :

गाँव: रोटू 

तहसील: जायल 

जिला: नागौर, राजस्थान 

  • यह नागौर से लगभग 30 कि.मी. पूर्वोत्तर में है। वर्तमान में यहाँ एक भव्य मन्दिर बना हुआ है। यहाँ गुरु जी के चरण चिन्हों वाले पत्थर और दूदोजी द्वारा भेंट किए गए खांडा को दर्शन के लिए रखा गया है।
  • रोटू का सर्वाधिक महत्त्व इस बात के लिये है कि यहाँ श्री गुरु जम्भेश्वर जी ने अक्षय तृतीया वि. सं. 1572 (1515 ई.) को जोखे भादू की बेटी उमा (नौरंगी) को भात (मायरा) भरा था।
  • गुरु जम्भेश्वर ने यहाँ खेजड़ियों का बाग लगा दिया था। यह बाग आज भी यहाँ मौजूद है। 
  • यह भी कहा जाता है कि यहाँ की चिड़ियाँ या अन्य पक्षी यहाँ की फसलों से दाने नहीं चुगते। वे यहां खेजड़ियों पर बैठकर विश्राम करते हैं।
  • पांच सौ वर्ष पहले  वि. सं. 1572 (1515 ई.) में गुरु जम्भेश्वर जी ने यहाँ 3700 खेजड़ी के पेड़ लगाए थे, जो आज वट वृक्ष के समान हो गए हैं। और पर्यावरण सरंक्षण के अद्भुत कार्य के माइल स्टोन बनकर खड़े है। इस गाँव में खेजड़ी को काटना तो दूर की बात है छंगाई भी नही की जाती।
  • पर्यावरण सरंक्षण की वजह ही गांव में आज हजारो की तादात में चिंकारा हिरण और कृष्ण मृग गांव में खुलेआम घूमते नजर आ जाते है, ग्रामीणों के अनुसार गांव के आसपास 6 हजार से ज्यादा हिरण यहां खुलेआम विचरण करते हैं।
  • यह गांव जीव दया और प्रेम की जीवंत कहानी है गांव में हिरण आखेट निषेध है, और कंजर्वेशन क्षेत्र Rotu Conservation Reserve घोषित किया जा चुका है।
  • अगर गांव के आसपास में हिरणों का कोई शिकार कर ले या कोशिश भी की जाती है तो गांव के बुजुर्ग, युवा और महिलाएं सब जीव को बचाने के लिए एक स्वर में खड़े हो जाते है। ग्रामीण कहते है हम अपने बच्चों की तरह जानवरो को पालते है हिरणों के बच्चों को औरते अपने बच्चों की तरह दूध पिलाती है। तो उसको मारने कैसे देंगे।

रोटू धाम बिश्नोई समाज के अष्ट धामों में से एक धाम है। रोटू धाम धार्मिक, सामाजिक और पर्यावरणीय महत्व का एक अद्भुत संगम है। यह स्थान बिश्नोई समाज के लिए गौरव का प्रतीक है और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

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