जम्भेश्वर: चमत्कारी बालक और उनकी अलौकिक शक्तियां

गुरु जम्भेश्वर का जन्म:

गुरु जम्भेश्वर भगवान का जन्म वि. संवत् 1508 (1451 ई.) भाद्रपद बदी 8 (कृष्णजन्माष्टमी) को अर्द्धरात्रि कृतिका नक्षत्र में ग्राम पींपासर जिला नागौर (राज.) के ठाकुर श्री लोहटजी पंवार और माता हासांदेवी के घर हुआ था।

अद्भुत बालक:

  • जन्म के समय बालक पूर्ण स्वस्थ था पर कोई भी स्त्री प्रयत्न करने पर भी बालक को जन्म घुट्टी नहीं पिला सकी।
  • जन्म के समय से ही, गुरु जम्भेश्वर एक अद्भुत बालक थे। उन्होंने अपनी मां का दूध नहीं पीया और चौकी पर पीठ के बल नहीं सोते थे।
  • उनकी पलकें नहीं झपकती थीं और वे कुछ खाते-पीते नहीं थे।
  • एक बार उन्होंने अपने शरीर को इतना भारी बना लिया था कि उन्हें कोई भी उठा नहीं सके, पर दासी ने उठा लिया था।

जम्भेश्वर के व्यवहार को देखकर चिंतित पिताः

गुरु जम्भेश्वर के अद्भुत व्यवहार को देखकर लोहट जी चिंतित हो गए।
  • उन्हें डर था कि उनके पुत्र में कोई कमी है।
  • उन्होंने बालक का उपचार करवाने के लिए भोपों और तांत्रिकों को बुलाया, पर कोई सफलता नहीं मिली।

गुरु जम्भेश्वर का चमत्कार:

नागौर के एक तांत्रिक ब्राह्मण ने बालक को ठीक करने का प्रयास किया, पर असफल रहा। 
  • ब्राह्मण ने बालक के उपचार हेतु अनेक प्रपंच किये। उसने 64 छिद्रों वाला एक घड़ा और 108 चौमुखे दीपक मंगवाये और रविवार की रात्रि में उनमें तेल डालकर जलाना प्रारम्भ किया पर ब्राह्मण को कोई सफलता नहीं मिली । तब ब्राह्मण ने थककर कहा कि यदि मेरे दीपक जल जायें तो मैं बालक को ठीक कर सकता हूं ।
  • तब गुरु जम्भेश्वर ने मिट्टी का कच्चा घड़ा और कच्चा सूत मंगवाकर कुएं से पानी निकाला और उस पानी को चौमुखे दीपकों में डालकर उन्हें जलाया।
  • यह देखकर ब्राह्मण और वहां उपस्थित लोग आश्चर्यचकित रह गए।

पहला शब्द:

उस समय गुरु जम्भेश्वर ने अपना पहला सबद ब्राह्मण तथा उपस्थित जनसमुदाय को कहा, जो उनकी ’सबदवाणी’ का प्रथम ’शब्द’ है। उस समय उनकी उम्र 7 वर्ष थी।

पहला शब्द इस प्रकार हैं-
"गुरु चीन्हों गुरु चीन्ह पुरोहित। गुरु मुख धर्म बखाणीं।।"

शब्द का अर्थ:

  • इस सबद में, गुरु जम्भेश्वर ने सच्चे गुरु की पहचान बताई।
  • उन्होंने कहा कि सच्चा गुरु वह है जो सहज शीले, सबदे, नादे और वेदे में निपुण हो।
  • उन्होंने कहा कि सच्चा गुरु ज्ञानी होता है और मोह को तोड़ता है।

निष्कर्ष:

  • गुरु जम्भेश्वर भगवान का जन्म और बाल्यकाल अद्भुत घटनाओं से भरा हुआ था।
  • उनकी अलौकिक शक्तियों और चमत्कारों ने लोगों को चकित कर दिया।
  • उनका पहला सबद सच्चे गुरु की पहचान बताता है और हमें सच्चा गुरु ढूंढने के लिए प्रेरित करता है।

FAQ: 

When was Guru Jambheshwar Bhagwan born?

Guru Jambheshwar Bhagwan was born in V. Samvat 1508 (1451 AD) on Bhadrapada Badi 8 (Krishna Janmashtami) in the midnight Krittika Nakshatra.

जाम्भोजीः जाम्भोजी का जन्म कब हुआ?

गुरु जम्भेश्वर भगवान का जन्म वि. संवत् 1508 (1451 ई.) भाद्रपद बदी 8 (कृष्णजन्माष्टमी) को अर्द्धरात्रि कृतिका नक्षत्र में हुआ था।

जाम्भोजी का जन्म कहाँ हुआ?

गुरु जम्भेश्वर भगवान का जन्म पींपासर जिला नागौर (राज.) में हुआ था।

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