1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध दक्षिण एशिया के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने बांग्लादेश के निर्माण को जन्म दिया और क्षेत्रीय भू-राजनीति को नया आकार दिया। इस युद्ध के बीच, असाधारण वीरता और रणनीतिक कौशल की कहानियाँ सामने आईं, जिनमें से सबसे उल्लेखनीय है बिश्नोई समाज का वीर सपूत भारतीय वायुसेना में ‘Bar to Vir Chakra’ पाने वाले केवल पाँच अधिकारियों में से एक एयर वाइस मार्शल (AVM) भूपेंद्र कुमार बिश्नोई की जिन्हें दुनिया AVM BK BISHNOI के नाम से जानती है, और उनके मित्र उन्हें ‘भूप’ कहकर बुलाते थे। 14 दिसंबर, 1971 को, केवल तीन मिनट के एक मिशन में, AVM बिश्नोई ने ढाका के पाकिस्तान गवर्नर हाउस पर हवाई हमला किया, जिसने युद्ध निर्णायक मोड़ दिया और बांग्लादेश की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
विंग कमांडर भूपेंद्र कुमार बिश्नोई (AVM BHUPENDRA K BISHNOI):
दिसंबर 1971 का समय था। भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध अपने चरम पर था। पूर्वी मोर्चे पर हालात तेजी से बदल रहे थे और ऐसे में भारतीय वायुसेना के जांबाज़ फाइटर पायलट, विंग कमांडर भूपेंद्र कुमार बिश्नोई को तुरंत मोर्चे पर भेजा गया। वे सिर्फ एक जोड़ी पायजामा और अपना कैमरा साथ लेकर युद्ध के लिए रवाना हुए।
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AVM BK Bishnoi with MiG-21 fighter jet during 1971 Indo-Pak war |
विंग कमांडर बिश्नोई स्क्वाड्रन 28 का हिस्सा थे, जिसे "द फर्स्ट सुपरसॉनिक्स" के नाम से जाना जाता था क्योंकि इसमें मार्च 1963 में शामिल हुए सुपरसॉनिक मिकोयान मिग-21 विमान थे। 5 दिसंबर 1971 को उन्होंने तीन मिग विमानों की एक टीम का नेतृत्व करते हुए पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तान की संचार व्यवस्था को ध्वस्त करने के लिए एक इंटरडिक्शन मिशन पर उड़ान भरी। इस मिशन में बिना पूर्व खुफिया जानकारी के उन्हें दुश्मन की फायरिंग रेंज में जाना पड़ा, जहाँ से उन्हें पीछे हटना पड़ा।
लेकिन ये सिर्फ शुरुआत थी। अगले ही दिन, उन्होंने फिर से मिशन के लिए उड़ान भरी — इस बार ढाका के पास स्थित तेजगांव एयरबेस की रनवे पर बमबारी के लिए। चार मिग-21 विमानों को रनवे पर सटीक बम गिराने का आदेश मिला और बिश्नोई ने शानदार नेतृत्व करते हुए इस ऑपरेशन को सफल बनाया। दो बम गिराने के बाद, बिश्नोई ने दूसरी बार हमला करने के दौरान कुछ तस्वीरें लीं — उनके पास कैमरा साथ था। इसका उद्देश्य दुश्मन के एयरबेस की जानकारी एकत्र करना और इलाके का अध्ययन करना था। उनके पास उस समय की एक तस्वीर भी थी — एक फीकी, काले-सफेद फोटो जिसमें रनवे पर बम गिरने से बने काले धब्बे दिखाई दे रहे थे।
14 दिसंबर को, जब जमीन पर जबरदस्त गोलीबारी हो रही थी, तब बिश्नोई ने चार मिग विमानों की अगुआई करते हुए ढाका के गवर्नर हाउस पर 128 रॉकेट दागे। इस हमले ने पाकिस्तान की सरकार को झकझोर दिया और उसी दिन पाकिस्तान के गवर्नर ने बैठक के बीच में ही इस्तीफा दे दिया।
उन्होंने कोमिला सेक्टर में भी दुश्मन के सैन्य ठिकानों पर सटीक बमबारी की और उन्हें पूरी तरह नष्ट कर दिया। इस प्रकार बिश्नोई और उनकी टीम ने पाकिस्तान की वायुसेना को इतना पंगु बना दिया कि उसके कई लड़ाकू विमान रनवे से उड़ान ही नहीं भर पाए।
16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल ए.ए.के. नियाज़ी ने भारत और बांग्लादेश की संयुक्त सेनाओं के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। इस दिन बांग्लादेश के रूप में एक नए राष्ट्र का उदय हुआ।
इस पूरे युद्धकाल के दौरान विंग कमांडर भूपेंद्र कुमार बिश्नोई ने अपार वीरता, असाधारण सैन्य कौशल और अद्वितीय नेतृत्व का परिचय दिया। इसके लिए उन्हें 26 जनवरी 1972 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा दूसरी बार वीर चक्र से सम्मानित किया गया — यह उपलब्धि उन्हें उन गिने-चुने योद्धाओं की श्रेणी में ले जाती है, जिन्हें दो बार वीर चक्र से नवाज़ा गया हो।
- पहली बार: युद्ध क्षेत्र में तीव्र जवाबी कार्रवाई के लिए
- दूसरी बार: ढाका गवर्नर हाउस पर निर्णायक बमबारी के लिए
1971 के पश्चात वे एयरक्रू एग्ज़ामिनेशन बोर्ड (AEB) के प्रमुख बने, जहाँ उन्होंने नेतृत्व और तकनीकी कौशल का श्रेष्ठ परिचय दिया। 1978 में उन्हें भारतीय वायुसेना के प्रमुख फाइटर बेस, जामनगर स्थित 33 विंग का स्टेशन कमांडर नियुक्त किया गया, जहाँ प्रतिष्ठित TACDE (टैक्टिकल एयर कॉम्बैट डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट) भी स्थित था। उनके अनुकरणीय नेतृत्व के परिणामस्वरूप उन्हें एयर कमोडोर के पद पर पदोन्नति प्राप्त हुई और तत्पश्चात वायुसेना मुख्यालय में डायरेक्टर ऑफ ऑफेंसिव ऑपरेशंस के रूप में नियुक्त किया गया।
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वीर चक्र से सम्मानित AVM बीके बिश्नोई |
उनकी वीरता, नेतृत्व और समर्पण से भरा हुआ यह गौरवशाली सैन्य सफर 1987 में एयर वाइस मार्शल के पद से सेवानिवृत्ति के साथ सम्पन्न हुआ। अपने साथी मित्रों के बीच ‘भूप’ के नाम से प्रसिद्ध, यह वीर योद्धा आज भी भारतीय वायुसेना के इतिहास में गौरव के प्रतीक के रूप में याद किए जाते हैं।