बिश्नोई जाति: ओबीसी वर्ग की केंद्रीय सूची में शामिल! राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने भेजी सिफारिश

संरक्षक कुलदीप बिश्नोई के ट्वीट ने बढ़ाई उम्मीदें, लोकसभा चुनाव में भाजपा को हो सकता है फायदा!

बिश्नोई समाज के संरक्षक एवं केन्द्रिय भाजता नेता कुलदीप बिश्नोई ने बिश्नोई समाज को केंद्र में आरक्षण मिलने के संभावना के बारे में ट्वीट किया है।

ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि

"आज मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने बिश्नोई समाज को ओबीसी में शामिल करने के लिए केन्द्र सरकार को सिफारिश कर दी है। इसके लिए मैं दिल की गहराइयों से अपनी ओर से और संपूर्ण बिश्नोई समाज की ओर से माननीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी एवं राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के चेयरमैन श्री हंसराज गंगाराम अहीर जी का आभार प्रकट करता हूँ। पूर्व सांसद श्री जसवंत सिंह बिश्नोई जी, महासभा के अध्यक्ष श्री देवेन्द्र बुडिय़ा जी सहित हम सबके प्रयासों से बिश्नोई समाज को केन्द्र में आरक्षण दिलाने से हम चंद कदम ही दूर हैं।।" 

बिश्नोई समाज को केन्द्र में ओबीसी
कुलदीप बिश्नोई का ट्वीट 

यह ट्वीट लोकसभा चुनाव के संदर्भ में अहम माना जा सकता है। अगर बिश्नोई समाज को केन्द्र में ओबीसी  में शामिल किया जाता है तो राजस्थान, हरियाणा, पंजाब सहित भारत के बिश्नोई बाहुल्य क्षेत्रों में भाजपा के पक्ष में लोकसभा चुनाव में इसका असर हो सकता है। इन क्षेत्रों में बिश्नोई समाज एक प्रभावशाली जाति है और इनके वोटों का चुनाव परिणामों पर बड़ा असर हो सकता है।

बिश्नोई समाज लंबे समय से केंद्र में आरक्षण की मांग कर रहा है। 2023 में, राजस्थान सरकार ने बिश्नोई समाज को केंद्र में ओबीसी सूची में शामिल करने के लिए सिफारिश की थी। यह माना जा रहा है कि केंद्र सरकार बिश्नोई समाज को आरक्षण देने पर विचार कर रही है।

अगर ऐसा होता है तो यह भाजपा के लिए एक बड़ी राजनीतिक जीत होगी। यह भी ध्यान रखना होगा कि बिश्नोई समाज के सभी लोग भाजपा का समर्थन नहीं करते हैं। लेकिन, आरक्षण मिलने से भाजपा को इस समाज के बीच अपना आधार मजबूत करने का मौका मिलेगा।

यह कहना अभी मुश्किल है कि बिश्नोई समाज को केंद्र में आरक्षण मिलने का लोकसभा चुनाव पर क्या असर होगा। लेकिन, यह निश्चित है कि यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा होगा और इसका चुनाव परिणामों पर प्रभाव पड़ सकता है।

बिश्नोई जाति ओबीसी या सामान्य (Bishnoi Caste Category): 

राजस्थान में वे ओबीसी हैं, जबकि केंद्र सरकार और अन्य राज्यों में वे सामान्य श्रेणी में आते हैं।

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